Kavita Jha

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मनुहार मनहरण घनाक्षरी #लेखनी दैनिक कविता प्रतियोगिता ओपन टॉपिक -17-Sep-2022

मनुहार (मनहरण घनाक्षरी)

करती मैं मनुहार,पिया ला दो साड़ी चार,
दिखूंँ मैं सुंदर नार, मान जाओ सरताज।

दुर्गा पूजा आने वाली, मैं हूँ प्यारी घरवाली,
आएगी आपकी साली, चलो जी बाजार आज।

 कहती हैं तेरी सिया,सुन तो लो मेरे पिया,
नई साड़ी माँगे जिया, थकी हूँ करके काज।

 वादा वो तो झूठा रहा, आँसू अब तो है बहा,
मनुहार में न दहा, अब न करूंगी साज।।

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कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी
##लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता
17.09.2022

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7 Comments

Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 08:40 PM

Bahut khoob 💐👍

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Abhinav ji

18-Sep-2022 08:56 AM

Very nice👍

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Raziya bano

18-Sep-2022 08:20 AM

Nice

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